Lanscape |
विस्टा हॉस्टल चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है इसलिए सुबह और शाम का नज़ारा breathtaking होता है। मेरे लिए ये एक बिलकुल अलग सा अनुभव था। नौकरी के दौरान बड़ी घिसी पिटी सी लाइफ स्टाइल होती है जो एक मशीन की तरह चलती रहती है। वही सुबह उठना, ऑफिस जाना, काम निबटाना और वापस आ जाना। कभी कभार बच्चों को लेकर छुट्टियाँ मनाने गए तो भी वो बड़ा सेट प्रोग्राम हुआ करता था। रिजर्वेशन किया, तैयारी की, तय तारीख को तवांग या गोवा, या मनाली या मसूरी पहुंच गए, वहाँ घूमा, देखने लायक जगहों पर गए, कुछ खरीददारी की और वापस अपने मुक़ाम पर। इन सबमें ऐसा कुछ भी नहीं था जो लीक से हटकर हो।
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Lalu, Aakash and bubu |
मेरा यह अनुभव सोलो- बैकपैकर का था। हाँलाकि मैं सोलो नहीं था पर फील वैसा ही था। सारा सामान बैकपैक में। कुछ गरम कपडे रख लिए थे क्युकी इस भरी गर्मी में भी लगातार बारिश लगातार हो रही थी। तय तिथि को मैं दिल्ली होता हुआ देहरादून पंहुचा। फिर वहां से लगभग 280 किलोमीटर का सफ़र साढ़े पांच से छः घंटों में पूरा होता है यदि आप अपने वाहन से हैं या टैक्सी से । उत्तराखंड रोडवेज की बसें भी देहरादून ISBT से छूटती हैं जो हरिद्वार, चिड़ियापुर फारेस्ट रेंज, नज़ीबाबाद, कोतवाली, घामपुर, काशीपुर और बाजपुर होते हुए ज्योलीकोट पेट्रोल पंप पर आपको उतार देंगी।
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Shantanu and Sneha |
ज्योलीकोट पेट्रोल पंप से विस्टा गेस्ट हाउस की पार्किंग लगभग 2 किलोमीटर है। पार्किंग से विस्टा गेस्ट हाउस क़रीब 1 किलोमीटर का ट्रेक है। यहीं से excitement की शुरुआत हो जाती है। पहाड़ी पगडंडियों से गुजरते हुए काफल, बुरांश, तेजपात, तून और बंज ओक के भारी भरकम पेड़ शिवालिक के पहाड़ों को एक अद्भुत नज़ारा देते हैं। एक जानकारी के अनुसार शिवालिक के पहाड़ एक ओर सिंधु नदी से दूसरी ओर ब्रम्हपुत्र नदी तक फैले हुए हैं और एक तरह से हिमालय का कण्ठहार बन जाते हैं। चहचहाते पक्षियों के बीच चारों ओर फैली हुई शान्ति बहुत स्थिरता, सुकून और अनुपम आनंद का अनुभव करा रही थी। हवा की ताज़गी और तेजपात की खुशबुओं का मिश्रण एक तरावट का काम कर रहा था मानों 6 घंटे की यात्रा की थकान छूमंतर हो गयी।
Mud room |
विस्टा हॉस्टल पहुँचते ही रही सही थकान भी जाने कहाँ गायब हो गयी। mud हाउस में कदम रखते ही वाइब्स का एहसास किसी खूबसूरत ख़्वाब से कम नहीं था। चारों तरफ फैली हुई हरियाली, पक्षियों की मधुर चहचहाट और वहाँ जो लोग मिले उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता।
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Yoga practice |
कॉर्पोरेट का नया कल्चर जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। शान्तनु, यज़न और आकाश इस प्रॉपर्टी को मैनेज करते हैं। मनमोहन जी, स्नेहा, अजीत, गीतांजलि,यज़न , हैरी, लूसी, चार्ली और मेरा बेटा अभिनव सभी कॉर्पोरेट से हैं और सबने अपनी ज़िंदगी में ये चेंज जोड़ा है ताकि उनकी एनर्जी और vibes बरकरार रहे। ज्यादातर ट्रैवेलर्स लम्बे समय से उत्तराखंड के पहाड़ों को एक्स्प्लोर कर रहे हैं। बुबू यहाँ के बड़े अनुभवी मेंबर हैं। बेहद शालीन, ठेठ देहाती रहन-सहन, और उनकी जड़ी बूटियों के ज्ञान ने मुझे कायल कर दिया। यहाँ का स्टाफ़ बहुत एक्टिव और सपोर्टिव है जो लगभग शुरूआत से ही जुड़ा हुआ है। लालू जी और बाबाजी तो सुबह से ही नाश्ता, चाय और खाने की तैयारी में व्यस्त हो जाते थे।
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Gardening with Gitanjali |
सारे गेस्ट लगभग एक परिवार की तरह रहते थे। लूसी और हैरी UK से थे और सारा दिन कुछ न कुछ करते रहते थे। कभी पेंटिंग, कभी पत्थरों का मंडाला, कभी गार्डनिंग। गीतांजलि वैसे तो लॉयर है पर यहाँ अपने माली introduce करती है और कितने की झाड़,पेड़, फूल, सब्जियाँ लगायी थी। कभी कभी मैं भी उसका हाथ बटाता था।
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Lucie made a painting |
अजित बैंगलोर से था और बहुत मेहनती था, प्रोफेशनल बॉक्सर और सब लोग शाम को बॉक्सिंग लेसन लेते थे। मैंने भी दो दिन किया। स्नेहा सब को योग कराती थी। दिन की शुरुआत अल-सुबह 4. 30 बजे होती थी। कुछ जड़ी बूटियां तोड़कर सुबह की मसाला चाय बनती थी। फिर पार्किंग वाले रास्ते पर ट्रेकिंग, फिर दिन भर कुछ न कुछ चलता रहता था। बाबाजी सुबह हवन करते थे। यजन और स्नेहा रिट्रीट प्लान कर रहे थे कॉर्पोरेट के लिए।