Friday, 10 April 2020

कोरोना की चिट्ठी

(अमरीका में सोशल मीडिया पर घूम रही इस  चिट्ठी का अंगरेजी से हिंदी में भावानुवाद #संध्या_शैली ने किया है , जिसमें भावपूर्ण अंश जोड़ कर एक सशक्त लेख पेश है)

धरती कब से तुमसे बात करने की कोशिश कर रही थी। बार बार उसने इशारे किये पर तुमने नहीं देखा। धरती ने बार बार तुम्हारे कान में फुसफुसाया लेकिन तुमने नहीं सुना। तुम उसे अनदेखा ही करते गये। एक माँ का ह्रदय कितना विशाल होता है, सब बर्दाश्त करता गया।
फिर धरती ने आवाज दी लेकिन तुमने ध्यान नहीं दिया।
धरती फिर जोर से चिल्लाई लेकिन फिर भी तुमने उसे अनसुना कर दिया। उसकी आवाज़ का दर्द मैंने गर्भ में सुना था। इतना विह्वल करने वाला दर्द और चीत्कार। मेरे जनक ने तुम्हारी ओर देखा कि कितने दंभ से तुम अपनी ही माँ की दुर्दशा करने में लगे हो।
और फिर मै पैदा हुआ.....
मैं तुम्हे सजा देने के लिये पैदा नहीं हुआ हूं। केवल चेताने आया हूँ | बहुत हो गयी अति, अब बस करो |
केवल तुम्हे जगाने के लिये आया हूं। अब तो जाग जाओ|

धरती बार बार मदद के लिये गुहार लगाती रही......
विनाशकारी बाढें ......लेकिन तुम अनजान बने रहे, तुमने उसमें छुपा धरती माँ का दर्द नहीं दिखा|
जलते जंगल .........लेकिन तुमने उस ओर से आंखें मूंद लीं
भयावह तूफान ............लेकिन तुमने फिर भी नहीं सुना
तुम उस वक्त भी जानबूझ कर तुम अनजान बने रहे जब, तुम्हारे द्वारा दूषित पानी से समुद्री जीव जान देते रहे ओैर हिमनद अप्रत्याषित और खतरनाक रफ्तार से पिघलते रहे| तुम कितने कठोर हो गए थे.
दर्दनाक सूखे की मार भी तुमने झेली
लेकिन इस सबके बावजूद तुम नहीं समझे कि धरती कितना नकारात्मक प्रहार सहन कर रही है।

अंतहीन युद्ध......
अंतहीन लालच.......
तुम बस अपनी जिंदगी जीते रहे
बिना इसकी परवाह किये कि कितनी घृणा तुमने अपने आस पास पैदा कर ली है
बिना इसकी परवाह किये कि कितना खून रोज बह रहा है
तुम्हारे लिये धरती की पुकार सुनने और जानने से अधिक
Coronavirus disease 2019तुम्हारी विलासता, तुम्हारा दंभ, तुम्हारा दिखावा अधिक महत्वपूर्ण हो गया।

लेकिन अब मै आ गया हूं|
और मैने दुनियां को वो जहां थी वहीं की वहीं रोक दिया है
अंततःमैने तुम्हे धरती को सुनने के लिये मजबूर कर दिया
मैने तुम्हे शरणागत होने  को मजबूर कर दिया
तुम्हे पंगु बना दिया है,
तुम्हारे सोचने समझने की शक्ति कमज़ोर कर दी है|
मैने तुम्हारे उपभोक्तावाद पर अंकुश लगा दिया
अब तुम भी धरती माँ की तरह हो गये हो|
केवल अपने अस्तित्व की चिंता करते हुये
कैसा लग रहा है अब ?????

China's coronavirus death toll surges, fuels speculation cases ...मैने तुम्हारे शरीर को तपाया ठीक वैसे
जैसे तुम जंगलों को जलाकर धरती को तपाते हो
मैने तुम्हारे फेफडे कमजोर कर दिये ठीक वैसे
जैसे तुमने प्रदूषण फैला कर धरती के कर दिये
मैने तुम्हारा दम घोंट दिया ठीक वैसे
जैसे प्रदूषण फेैला कर तुम धरती का दम घोंट रहे थे
मैने तुम्हे कमजोर कर दिया ठीक वैसे
जैसे दिन पर दिन धरती कमजूोर होती जा रही थी
मैने तुम्हारा चैन छीन लिया
तुम्हारा बिना मतलब बाहर घूमना
तुम्हारा इस धरती और इसकी तकलीफ की चिंता किये बगैर तमाम चीजों का उपयोग करना
मैने सब कुछ बंद करके इस दुनियां को जहां थी वहीं खड़ी कर दिया।

और अब...
चीन में हवा अधिक साफ है और आकाष नीला दिखाई देता है क्योंकि कारखानों का धुंआ उस पर कालिख नहीं पोत रहा
वेनिस में पानी साफ हो गया है और उसमें तैरती डाॅल्फिन भी दिखाई देने लगी हैं क्योकि उस पानी को गंदला करने और डाॅल्फिन का दम घोंटने वाली
गोंडोला बोट उसमें चलनी बंद हो गयी।
दिल्ली की हवा बिलकुल साफ़ हो गयी है क्युकि उसमे दम घोटूं धुआं नहीं है, उसमे ध्वनि प्रदुषण नहीं है.
Delhi breathes clean air in nearly a year as AQI slips to 65 ...
तुम्हारे पास अभी समय है यह सोचने के लिये कि
आखिर तुम्हारी जिंदगी के लिये क्या सबसे अधिक महत्वपूर्ण है
एक बार फिर
मैं यहां तुम्हे सजा देने नहीं, तुम्हे जगाने आया हूं|
जब यह वक़्त भी बीत जायेगा और मैं चला जाउंगा|
हमेशा इन पलों को याद रखना। धरती माँ का आर्तनाद याद रखना| अपने पापों को याद रखना|

धरती को सुनो और उसे अपनापन दो|
अपने आप को सुनो और अपने आप को जीने की वजह दो|
अपने मन का प्रदूषण खत्म करो|
धरती को प्रदूषित मत करो,
 जाति,धर्म,रंग और भाषा, के नाम पर एक दूसरे से मत लड़ो
(याद रखना मैने किसी में फर्क नहीं किया,धरती भी किसी में फर्क नहीं करती)

भोगवादी तरीके से जीना बंद करो
और अपने पड़ोसियों से मोहब्बत करना शुरू करो
धरती और उसके जीवों की चिंता देखभाल रक्षा करना शुरू करो
इस प्रकृति पर विश्वास करना शुरू करो
क्योंकि
अगली बार हो सकता है जब मैं वापस आऊं तो शायद और भी अधिक ताकत के साथ आऊं !!
💀💀💀💀💀💀💀

2 comments:

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  2. Nature is playing its cards now! And since nature is older, it is wiser than humans !

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