Sunday, 13 December 2015

अवसाद पर ध्यान देना क्यू जरूरी है।


 अवसाद और उसका शरीर पर प्रभाव
अवसाद ऐसी बीमारी है जिसके कारण बहुत से हो सकते हैं। यह कभी भी किसी एक कारण से नहीं होता है बल्कि कई कारणों से मिलकर होता है जैसे  केमिकल, भौतिक एवं मानसिक भारत में लगभग एक मिलियन लोग अवसाद के शिकार हैं। यह मानव जीवन को किसी भी प्रकार से प्रभावित कर सकता है। वो लोग जो डिप्रेशन से परेशान होते हैं उनके पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्ते भी इस बीमारी के प्रभाव से नहीं बच पाते हैं।

अवसाद मानव जीवन के हर भाग को प्रभावित करता है जैसे फिज़ीक, बाडी, मूड, लाइफस्टाइल और सोचने समझने की शक्ति।
अवसाद का मतलब होता है कुण्ठा, तनाव, आत्महत्या की इच्छा होना। अवसाद यानी डिप्रेशन मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है, इसका असर स्‍वास्‍थ्‍य पर भी पड़ता है और व्यक्ति के मन में अजीब-अजीब से ख्या‍ल घर करने लगते हैं। वह चीजों से डरने और घबराने लगता है। आइए जानें कैसे खतरनाक है अवसाद।

 §  अवसाद के चलते व्यक्ति का न सिर्फ मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य बल्कि शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य भी बिगड़ने लगता है।

§  अवसाद में रहते हुए व्यक्ति की आत्महत्या की इच्छा प्रबल होने लगती है।

§  व्यक्ति के मन में हीनभावना होना, कुण्ठा पनपना, अपने को दूसरों से कम आंकना, तनाव लेना सभी अवसाद के लक्षण है।

§  व्यक्ति अवसाद के कारण अपने काम पर सही तरह से फोकस नहीं कर पाता।

§  कुछ समय पहले के आंकड़ो पर गौर करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया के ज्यादातर बड़े शहरों में डिप्रेशन की समस्या का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है। भारत जैसे विकासशील देशों में 10 पुरुषों में से एक व 5 महिलाओं में से एक अपनी जिंदगी के किसी न किसी पड़ाव पर डिप्रेशन का शिकार बनते हैं।

§  कोई व्यक्ति अवसाद से ग्रसित रहता है तो उसे डिमेंशिया होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है।

§  अवसाद से हृदय और मस्तिष्क को भी भारी खतरा उत्पन्न हो सकता है।

§  अवसाद और मधुमेह से पीड़ित लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियां, अंधापन और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है।

§  डिप्रेशन से हार्ट डिज़ीज जैसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

§  इम्यून सिस्टम पर अतिरिक्त असर पड़ता है।

§  मानसिक बीमारी से हृदय संबंधी बीमारी के चलते मौत का खतरा 75 साल की उम्र तक दो गुना अधिक होता है।

§  अवसाद से व्यक्ति किसी पर जल्दी से भरोसा नहीं कर पाता।
§  वह अधिक गुस्सेवाला और चिड़चिड़ा हो जाता है।

डिप्रेशन से प्रभावित लोगों के आम लक्षणः
§  उस समय जीवन से निराश होना जबकी जीवन में जीने के लिए बहुत कुछ हो।
§  आनन्द वाली किसी भी चीज़ में आनन्द ना उठा पाना।
§  हमेशा थका थका सा महसूस करना।
§  किसी भी काम का निर्णय ना ले पाना।
§  ज़िन्दगी के लिए एक उलझा हुआ नज़रिया होना।
§  बिना कारण वज़न का बढ़ना या कम होना।
§  खान पान की आदतों में बदलाव।
§  आत्महत्या के उपाय करना और आत्महत्या के बारे में सोचना जिसका अर्थ है, कि इससे व्यक्ति के सामाजिक और पारिवारिक रिश्ते प्रभावित होते हैं।
§  डिप्रेशन दुख की तुलना में कहीं आधिक समय तक रहता है। वो लोग जो डिप्रेशन से प्रभावित होते हैं उनके काम नार्मल लोगों की तुलना में बहुत कम होते हैं। डिप्रेशन में रहने वाले लोग दुखी और निराश होते हैं, लेकिन वह बस दुखी ही नहीं होते बल्कि बिना किसी बड़े कारण के जीवन से हार जाते हैं।
§  डिप्रेशन पढ़ाई, इन्कम या मैराइटल स्टेटस से किसी भी प्रकार से नहीं जुडा होता है।
 पुरूषों की तुलना में महिलाएं अवसाद से अधिक प्रभावित होती हैं। कुछ शोधकर्ता ऐसा मानते हैं कि अवसाद से वो महिलाएं प्रभावित होती हैं जिनका कोई इतिहास होता है जैसे कि वो पहले कभी सेक्सुअली एब्यूज़ हुई हों या फिर उन्हें किसी प्रकार की इकानामिक परेशानी हुई हो।

कई दूसरी बीमारियों की तरह अवसाद भी एक अनुवांशिक बीमारी है। अवसाद की एवरेज एज 20 वर्ष से उपर होती हैं। कुछ फिज़ीशियन ऐसा मानते हैं कि ड्रिप्रेशन या अवसाद दिमाग में मौजूद कैंमिकल्स में हुई गड़बड़ी से होता है इसलिए वो एण्टी डिप्रेसेंट दवाएं देते हैं । लेकिन अभी तक ऐसा कोई टेस्ट सामने नहीं आया है, जिसकी मदद से इन कैमिकल्स का लेवल पता किया जा सके। इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं मिला है कि मूड बदलने से जीवन के अनुभव बदलते हैं या इन अनुभवों से मूड बदलता है।
अवसाद शारीरिक परेशानियों से भी जुड़ा होता है जैसे फिज़िकल ट्रामा या हार्मोन में होने वाला बदलाव। डिप्रेशन या अवसाद के मरीज़ को अपना शारीरिक टेस्ट भी करा लेना चाहिए।
डिप्रेशन के कुछ ऐसे लक्षण जिनमें प्रोफेशनल ट्रीटमेंट की तुरन्त आवश्यकता होती है:
  • मरने या आत्महत्या की कोशिश करना। यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है, ऐसी स्थिति में प्रोफेशनल थेरेपिस्ट से सम्पर्क करना बहुत ज़रूरी हो जाता है।
  • जब डिप्रेशन के लक्षण लम्बे समय तक दिखें।
  • आपके काम करने की शक्ति दिन पर दिन क्षिण होती जा रही है।
  • आप दुनिया से कटते जा रहे हैं।
  • डिप्रेशन का इलाज सम्भव है। इस बीमारी में व्यक्ति का शारीरिक से ज़्यादा मानसिक रूप से स्वस्थ होना ज़रूरी होता है। ऐसी स्थिति में ऐसा मित्र बनायें जो आपकी बातों को समझ सके और अकेले कम से कम रहने की कोशिश करें।

Tuesday, 17 November 2015

Most impacting quotes, I like most !!

Comfort zone is a place that restrict me to think out of box. I grew because I dared to cross my comfort zone all the time.
 We think our students can not learn unless I (teacher) teach them. I am seriously mistaken, they already know much more than I do. Only thing, I have a board to dictate my terms, where as they have their fantasy to excel.

Give them a board and see, they can do wonders. Never teach them. Just open up the platform for them, they can learn on their own.





Accepting the people, situation or things as they are make it easy for me to work with because I do not exaggerate or assume non-sense. 







Lastly, emotions count. Never be emotional but be emotionally intelligent enough to ensure that crux of relationship lies in "CONCERN".

Sunday, 15 November 2015

Are you discharged??

It irritates when you are on a call and the mobile battery suddenly goes off or you have to reach a meeting point in hour and on the way you found that your car is low on fuel and there is no gas station en route. Same things happen when we need to finish the task but we are low on energy. It is hard to understand the depletion of our energy but it is equally important to understand if we really want to get charged. Theoretically, we should have 100% energy when we wake up in the morning but the leakages caused by the our own limiting beliefs lower the potential. Anxiety, irritation, impulsiveness, being overcautious, becoming reactive, doubtful or being emotional create  leakages in the bucket of our potential. If this continues for long our body becomes weak and diseased. How can I get rid of energy depletion?

One must understand that our potential is composed of our physical strength, mental strength and emotional strength. The mental and emotional strength play vital role in total potential, we have. Most of the energy depletion takes place because of poor mental and emotional status. Feeling tired, unable to link thoughts or unable to concentrate, not getting right words in right time, etc. are some of the indicators of poor mental health. Emotional health relates to being confident or lost confidence; committed or non-committed; enthusiastic or have a poor start-up; passionate or illusive; sensible or impulsive; and empathetic or intolerant; etc. Being emotional certainly does not mean being sympathetic, weepy, sorry for oneself, joyless, touchy, sadistic, etc. Emotional strength is the key strength and major part of our potential. 90% of our energy depletion takes place because of poor mental and emotional health.
To enhance potential one has to understand the process of building up good mental and emotional health. Only life-style make-over can bring permanent and sustainable changes. 


Physical exercises; yoga or asans are essential to clear the blockages caused by harmful chemicals over the years. Pranayam is also essential to cleanse the  circulatory system and empower the blood cells to remove accumulated toxins within the body. And then doing meditation may help in recharging the brain cells. You must learn asans and pranayam from the experts. Without their practise, the meditation has no effect on the mind and body. Researches have proved that meditation not only deeply impact the emotional health, but also strengthen the immune system and helps in bringing positive sustainable change in one's potential.

Saturday, 14 November 2015

Rewire the brain-rejuvenate the body


Brain can be rewired- Understanding neuroplasticity




Our brain is composed of billions of neurons. These neurons are connected to the vertebra and through it to other parts of body in the form of nerve clusters. The complete internal management is controlled by these neurons. Neurons jap and as a result messages are transmitted electro-magnetically and chemical reaction begin inside the body. The human brain is composed of approximately 100 billion neurons. Early researchers believed that neurogenesis, or the creation of new neurons, stopped shortly after birth. Today, it is understood that the brain possesses the remarkable capacity to reorganize pathways, create new connections and, in some cases, even create new neurons. This will provide new direction to medical science. Creation of new neurons is a significant event. It can provide clues to most of the neurological diseases and solutions.

Creation of new neurons or “Brain rewiring” is known as brain plasticity or neuroplasticity or cortical remapping, is a term that refers to the brain's ability to change and adapt as a result of “designed experiences”. Up until the 1960s, researchers believed that changes in the brain could only take place during infancy and childhood. By early adulthood, it was believed that the brain's physical structure was permanent.


According to the website Neuroscience for Kids, there are four key facts about neuroplasticity:

  •    It can vary by age; while plasticity occurs throughout the lifetime, certain  types of changes are more predominant during specific life ages.
  •     It involves a variety of processes; plasticity is ongoing throughout life and involves brain cells other than neurons, including glial and vascular cells.
     
  • It can happen for two different reasons; as a result of learning, experience and memory formation, or as a result of damage to the brain.
  • Environment plays an essential role in the process, but genetics can also have an influence.
The first few years of a child's life are a time of rapid brain growth. At birth, every neuron in the cerebral cortex has an estimated 2,500 synapses; by age of three, this number has grown to a whopping 15,000 synapses per neuron.
The average adult, however, has about half that number of synapses. Why? Because as we gain new experiences, some connections are strengthened while others are eliminated. This process is known as synaptic pruning. Neurons that are used frequently develop stronger connections and those that are rarely or never used eventually die. By developing new connections and pruning away weak ones, the brain is able to adapt to the changing environment.
Modern researches have successfully demonstrated that the brain continues to create new neural pathways and alter existing ones in order to adapt to new experiences, learn new information and create new memories. People who meditate grow bigger brains than those who don't. Researchers at Harvard, Yale, and the Massachusetts Institute of Technology have confirmed the evidence those ancient Indian Vedas have established through research on “life management”. Ancient vedas say that the ba

The link between “self-managed way of life” that incorporates asan, pranayama, meditation and neuroplasticity has become evident over the last couple of decades, as the science of today is now realising that neuroplasticity can make dent in human’s life which is supporting the claim that meditation can have a substantial role in the moulding and shaping of the brain. Yoga, aasan, pranayam and meditation can be extremely beneficial to the body and to the mind for “holistic healing” and living a happy, healthy and safe life.

बॉडी मसाज ऑइल-कुछ अनुभूत प्रयोग- १

  जिंदगी में रिसर्च एक मौलिक तत्व है, जो होना चाहिए, दिखना चाहिए ,उसका इस्तेमाल अपनी जिंदगी के उत्तरोत्तर सुधार के लिए किया जाना चाहिए। मैंन...