जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये। वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।
उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।
उसने दांये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटनेको तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।
वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?
कुदरत का करिश्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी।
उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।
कुछ लोग हमारी *सराहना* करेंगे,
कुछ लोग हमारी *आलोचना* करेंगे।
दोनों ही मामलों में हम *फायदे* में हैं,
एक हमें *प्रेरित* करेगा और
दूसरा हमारे भीतर *सुधार* लाएगा।।
*अच्छा सोचें*
तो अच्छा ही होगा
जो होता है, उसमें ईश्वर तुम्हारा ही हित देखता है। तुम्हें उस समय सब विपरीत ज़रूर नज़र आता है, पर यह समय ही जानता है कि जोसामने आगे आयेगा वही तुम्हारे लिए सबसे उत्तम होगा। इसलिए केवल कर्म पर भरोसा होना चाहिए।