Each one of us have unique experiences in life. The blog is about my journey through life. I share my vivid experiences through this platform. Someone may find these experiences interesting, or gain some new ideas from them. Learning from others save energy and time, and also encourage to innovate. One needs to challenge himself/herself time and again to consolidate from within to achieve the very purpose of our own life. One should always look for active and purposeful engagement in life.
Wednesday, 16 September 2020
प्रार्थना की शक्ति
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प्रार्थना की शक्ति
एक व्यक्ति गाड़ी से उतरा... और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट में घुसा, जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी कार्यकर्म मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए आयोजित की जा रही था...वह अपनी सीट पर बैठा और जहाज़ उड़ गया... अभी कुछ दूर ही जहाज़ उड़ा था कि... कैप्टन ने घोषणा की, तूफानी बारिश और बिजली की वजह से जहाज़ का रेडियो सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा... इसलिए हम पास के एयरपोर्ट पर उतरने के लिए विवश हैं.
*जहाज़ उतरा वह बाहर निकल कर कैप्टन से शिकायत करने लगा कि... उसका एक-एक मिनट क़ीमती है और होने वाली कार्यकर्म में उसका पहुँचना बहुत ज़रूरी है... पास खड़े दूसरे यात्री ने उसे पहचान लिया... और बोला डॉक्टर पटनायक आप जहां पहुंचना चाहते हैं... टैक्सी द्वारा यहां से केवल तीन घंटे मे पहुंच सकते हैं... उसने धन्यवाद किया और टैक्सी लेकर निकल पड़ा...*
*लेकिन ये क्या आंधी, तूफान, बिजली, बारिश ने गाड़ी का चलना मुश्किल कर दिया, फिर भी ड्राइवर चलता रहा...*
*अचानक ड्राइवर को आभास हुआ कि वह रास्ता भटक चुका है...*
*ना उम्मीदी के उतार चढ़ाव के बीच उसे एक छोटा सा घर दिखा... इस तूफान में वहीं ग़नीमत समझ कर गाड़ी से नीचे उतरा और दरवाज़ा खटखटाया...*
*आवाज़ आई... जो कोई भी है अंदर आ जाए... दरवाज़ा खुला है...*
*अंदर एक बुढ़िया आसन बिछाए भगवद् गीता पढ़ रही थी... उसने कहा ! मांजी अगर आज्ञा हो तो आपका फोन का उपयोग कर लूं...*
*बुढ़िया मुस्कुराई और बोली... बेटा कौन सा फोन?? यहां ना बिजली है, ना फोन..*
*लेकिन तुम बैठो... सामने चरणामृत है, पी लो... थकान दूर हो जायेगी... और खाने के लिए भी कुछ ना कुछ फल मिल जायेगा...खा लो ! ताकि आगे यात्रा के लिए कुछ शक्ति आ जाये...*
*डाक्टर ने धन्यवाद किया और चरणामृत पीने लगा... बुढ़िया अपने पाठ मे खोई थी कि उसके पास उसकी नज़र पड़ी... एक बच्चा कंबल मे लपेटा पड़ा था जिसे बुढ़िया थोड़ी थोड़ी देर मे हिला देती थी...*
*बुढ़िया की पूजा हुई तो उसने कहा... मां जी ! आपके स्वभाव और व्यवहार ने मुझ पर जादू कर दिया है... आप मेरे लिए भी प्रार्थना कर दीजिए... यह मौसम साफ हो जाये मुझे उम्मीद है आपकी प्रार्थनायें अवश्य स्वीकार होती होंगी...*
*बुढ़िया बोली... नही बेटा ऐसी कोई बात नही... तुम मेरे अतिथी हो और अतिथी की सेवा ईश्वर का आदेश है... मैने तुम्हारे लिए भी प्रार्थना की है... परमात्मा की कृपा है... उसने मेरी हर प्रार्थना सुनी है...*
*बस एक प्रार्थना और मै उससे माँग रही हूँ शायद जब वह चाहेगा उसे भी स्वीकार कर लेगा...*
*कौन सी प्रार्थना..??
डाक्टर बोला...*
*बुढ़िया बोली... ये जो 2 साल का बच्चा तुम्हारे सामने अधमरा पड़ा है, मेरा पोता है, ना इसकी मां ज़िंदा है ना ही बाप, इस बुढ़ापे में इसकी ज़िम्मेदारी मुझ पर है, डाक्टर कहते हैं... इसे कोई खतरनाक रोग है जिसका वो उपचार नहीं कर सकते, कहते हैं की एक ही नामवर डाक्टर है, क्या नाम बताया था उसका !*
*हां "डॉ पटनायक " ... वह इसका ऑपरेशन कर सकता है, लेकिन मैं बुढ़िया कहां उस डॉ तक पहुंच सकती हूं? लेकर जाऊं भी तो पता नही वह देखने पर राज़ी भी हो या नही ? बस अब बंसीवाले से ये ही माँग रही थी कि वह मेरी मुश्किल आसान कर दे..!!*
*डाक्टर की आंखों से आंसुओं की धारा बह रहा है....वह भर्राई हुई आवाज़ मे बोला !*
*माई...आपकी प्रार्थना ने हवाई जहाज़ को नीचे उतार लिया, आसमान पर बिजलियां कौधवा दीं, मुझे रास्ता भुलवा दिया, ताकि मैं यहां तक खींचा चला आऊं, हे भगवान! मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा... कि एक प्रार्थना स्वीकार करके अपने भक्तों के लिए इस तरह भी सहयता कर सकता है.....!!!!*
*दोस्तों, वह सर्वशक्तिमान है.... परमात्मा के भक्तो उससे लौ लगाकर तो देखो... जहां जाकर प्राणी असहाय हो जाता है, वहां से उसकी परम कृपा शुरू होती है...।
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